शनिवार, मार्च 10, 2012

डी डी जैन कालेज में भी दीक्षांत समारोह आयोजित

388 छात्रों को मिलीं डिग्रियां: डा. सी.एस.मीना थे मुख्य मेहमान


साधना जब सफल होती है और उसे मान्यता मिलती है तो साधना मार्ग में आये हुए सभी कष्ट भूल जाते हैं और दिलो दिमाग में रह जाती है एक ख़ुशी जिसकी बराबरी दुनिया के किसी भी सुख सुविधा में सम्भव ही नहीं होती. यह ख़ुशी व्यक्ति के अंग अंग से बोलती है. इस ख़ुशी की चमक आज फिर दिखाई दी लुधियाना में उन चात्रयों के चेहरों पर जिन्हें आज उच्च शिक्षा की डिग्री मिली. 
शिक्षा के क्षेत्र में एक अलग स्थान रखने वाले देवकी देवी जैन मैमोरियल कालेज फार विमेन की कन्वोकेशन आज बहुत ही उत्साह, हर्षो उल्लास और पारंपरिक जोशो खरोश से सम्पन्न हुयी. छात्रायों के चेहरे पर एक चमक थी, उपलब्धी की, एक अलौकिक सी दिखने वाली ख़ुशी थी जो बता रही थी उनकी मेहनत और शिक्षा साधना की पूरी कहानी. विश्व विधालय अनुदान  आयोग के संयुक्त सचिव  डाक्टर सी .एस.मीना इस यादगारी अवसर पर मुख्य मेहमान थे. 
कालेज के चेयरमैन हीरा लाल जैन, अध्यक्ष केदार नाथ जैन, वरिशाथ उपाध्यक्ष राज कुमार जैन और शांति सरूप जैन, प्रबन्धक कमेरी के सचिव बिपिन जैन, मैनेजर सुरिन्दर कुमार जैन और अफिशिएटिंग प्रिंसिपल सुरिन्दर दूया भी इस अवसर मर मौजूद रहे. 
प्रिंसिपल मैडम ने जहाँ कालेज की खूबियों और उपलब्धियों की चर्चा की वहां चात्रयों और उनके माता पिता की प्रेरणा और मेहनत  को भी सराहा. उनहोंने इस अवसर पर अपने उन सहयोगियों को भी बहुत ही स्नेह और समान से याद किया जो किसी समय उनके साथ इसी कालेज में अध्यापन करते थे पर अचानक ही ज़िन्दगी की राहें जुदा होने के बाद भी उनका विकास जारी रहा और साथ ही बना रहा कालेज के साथ उनका स्नेह सम्बन्ध. आज वे बहुत उच्च पदों पर या फिर सफलता के शिखरों पर कार्य कर रहे हैं पर इतने ऊंचे मुकाम पर जाकर भी वे लोग अपने इस कालेज को नहीं भूले.. इस तरह के लोगों में से एक डाक्टर परम सैनी भी आज कन्वोकेशन के सुअवसर पर यहाँ मौजूद थे जिन्हें प्रिंसिपल मैडम ने उसी पुराने स्नेह के साथ पम्मी मैडम कह कर पुकारा. 
पौने चार सो से अधिक छात्रायों ने अपनी मेहनत और साधना को  डिग्री के रूप में मिली मान्यता का सम्मान लेकर इस दिन को अपनी ज़िन्दगी का एक यादगारी दिन बनाया. इन छात्रायों ने मीडिया  से बात करते हुए भी कहा की उन्हें आज अपनी साधना पर गर्व है और ऐसे लगता है कि जैसे उनकी ग्रैजूएशन की शिक्षा आज मुकम्मल हुयी है. इस शुभ अवसर पर किसी के चेहरे पर हंसी थी तो किसी  की आँखों में ख़ुशी के आंसू भी थे. यह यादगारी आयोजन बाद दोपहर तक जारी रहा. कन्वोकेशन रिपोर्ट:: रेक्टर कथूरिया // तस्वीरें:: संजय सूद  

सीएमसी की क्न्वोकेशन में पहुंचे डाक्टर एस एस गिल

चार कालेजों के छात्र छात्रायों को मिलीं डिग्रीयां
लुधियाना:10 मार्च:2012:: लुधियाना में दीक्षांत समारोहों का जोर रहा. सीएमसी मेडिकल कालेज और अस्पताल अकेले सीएमसी शिक्षा संस्थान में ही चार  कालेजों की कन्वोकेशन हुई. कैलिवारी चर्च के ऐन सामने चिल्ड्रन पार्क  में हुए मुख्य समारोह में सी एम सी मेडिकल कालेज, कालेज आफ नर्सिंग, और कालेज आफ फिजियोथ्रेपी के छात्र छात्रायों के चेहरों पर आज एक नई रौनक थी. होठों पर मुस्कान और आँखों में चमक. आज मिल रही थी उनकी शिक्षा को वह मान्यता जिसके लिए उन्हों ने रात रात भर जाग कर पढाई की थी. 

इस मौके पर सी एम सी अस्पताल के डायरेक्टर डाक्टर अब्राहम जी थोमस  ने मेहमानों का स्वागत किया, प्रिंसिपल डाक्टर एस एम भटटी ने ग्रेजूएट और पोस्ट ग्रेजूएटस को शपथ दिलाई. इस दिन को मेडिकल शिक्षा में ऐतिहासिक बनाते हुए 5 ग्रेजूएट्स और 25 पोस्ट ग्रेजूएट्स को डिग्रियां दे कर सम्मानित किया गया. गीतिका गेरा,सबस्तियाँ मारकर मार्कर, आशा थोमस, डेविड वर्मा,सिंथिया सारह मैथ्यू,शरुतिका गुप्ता, जेन्नी मरियम  जोर्ज, जीबी जॉन, जिनकी मारिया पाल उन प्रमुख सौभाग्य शाली विजेतायों में से थे  जिन्हें आवर्ड व मैडल दे कर सम्मानित किया गया. डाक्टर शुबिधा गर्ग को डाक्टर जसवंत गिल अवर्स से सम्मानित किया गया.  डाक्टर सुप्रिया सेन को डाक्टर अब्राहिम जी थोमस आवर्ड से नवाज़ा गया.  
 इस दीक्षांत समारोह में उन्हें उनकी डिग्री का समान देने के लिए बाबा फरीद यूनिवर्सिटी के उप कुलपति डाक्टर एस एस गिल मुख्य मेहमान बन कर ए हुए थे. उनहोंने छात्र छात्रयों को उनकी इस उप्लाब्दी पर मुबारक बाद दी उन्होंने कहा की सी एम् सी में आकर मुझे हमेशां प्रसन्नता का हसास हुआ क्यूंकि मेडिकल शक्षा के क्षेत्र में गुणवता को लगातार बढ़ाने वाले सी एम सी ने मानवता की सेवा के साथ साथ शिक्षा के क्षेत्र में भी एक नया इतिहास रचा है. इस तरह कुल मिलकर यह समारोह पूरी तरह यादगारी बन गया. --रेक्टर कथूरिया 

गुरुवार, मार्च 08, 2012

प्रेम जहाँ बसते दिन-रात

मिले पथिक को छाया हरदम
पेड़, धूप सहते दिन-रात
दूर के राही  थक मत जाना  
मिहनत जो करते दिन-रात
वो दुख में रहते दिन-रात
     सुख देते सबको निज-श्रम से
     तिल-तिल कर मरते दिन-रात
मिले पथिक को छाया हरदम
पेड़, धूप सहते दिन-रात
     बाहर से भी अधिक शोर क्यों
     भीतर में सुनते दिन-रात
दूजे की चर्चा में अक्सर
अपनी ही कहते दिन-रात
     हृदय वही परिभाषित होता
     प्रेम जहाँ बसते दिन-रात
मगर चमन का हाल तो देखो
सुमन यहाँ जलते दिन-रात
परिचय
पूरा नाम है श्यामल किशोर झा और शायरी की दुनिया में जाने जाते हैं श्यामल सुमन के नाम से.
जन्म तिथि :  10.01.1960 और जन्म स्थान :  चैनपुर, जिला सहरसा, बिहार, भारत
शिक्षा :  एम० ए० - अर्थशास्त्र साथ में तकनीकी शिक्षा : विद्युत अभियंत्रण में डिप्लोमा 
वर्तमान पेशा :  प्रशासनिक पदाधिकारी टाटा स्टील, जमशेदपुर, झारखण्ड, भारत
साहित्यिक कार्यक्षेत्र :  छात्र जीवन से ही लिखने की ललक, स्थानीय समाचार पत्रों सहित देश के प्रायः सभी स्तरीय पत्रिकाओं में अनेक समसामयिक आलेख समेत कविताएँ, गीत, ग़ज़ल, हास्य-व्यंग्य आदि प्रकाशित.
स्थानीय टी.वी. चैनल एवं रेडियो स्टेशन में गीत, ग़ज़ल का प्रसारण, कई राष्ट्रीय स्तर के कवि-सम्मेलनों में शिरकत और मंच संचालन. अंतरजाल की दुनिया में पंजाब स्क्रीन के साथ साथ "अनुभूति,हिन्दी नेस्ट, साहित्य कुञ्ज, साहित्य शिल्पी, प्रवासी दुनिया, आखर कलश आदि मे अनेकानेक  रचनाएँ प्रकाशित हुयी हैं और होती रहती हैं.
गीत ग़ज़ल संकलन "रेत में जगती नदी" - कला मंदिर प्रकाशन दिल्ली 
                          "संवेदना के स्वर" - राज-भाषा विभाग पटना में प्रकाशनार्थ. इसके आलावा भी कई जगह पर मांग बढ़ रही है.
अपनी बात कहते हुए बताते हैं: इस प्रतियोगी युग में जीने के लिए लगातार कार्यरत एक जीवित-यंत्र, जिसे सामान्य भाषा में आदमी कहा जाता है और जो इसी आपाधापी से कुछ वक्त चुराकर अपने भोगे हुए यथार्थ की अनुभूतियों को समेट, शब्द-ब्रह्म की उपासना में विनम्रता से तल्लीन है-बस इतना ही। 
 श्यामल सुमन से  मोबाईल फोन पर सम्पर्क का नम्बर है:09955373288. इन रचनायों पर आपके विचारों की इंतज़ार हमेशां की तरह इसबार भी शिद्दत से बनी रहेगी.--रेक्टर कथूरिया